मन बड़ा बेचैन व् अशान्त हो रहा है। कोरोना कोरोना……. चारों तरफ़ भय, बेचैनी, चारों तरफ़ आपाधापी महसूस रहा है। सरकार लॉकडाउन का एलान कर रही है। प्रधानमंत्री भावपूर्ण भाषण में एक तरफ़ भय दूसरी तरफ़ सुरक्षा की बात कर गए। लॉकडाउन, लॉकडाउन, लॉकडाउन!
हमने सोचा है, कुछ सवाल –
- हमारे वैज्ञानिक, रिसर्चर हमें पहले से सावधान क्यों नही कर पाए व् इसका तोड़ क्यों नहीं ढूँढा, क्या यह संभव नहीं था?
- अभी के माहौल में देश के दिहाड़ी मज़दूर, ग़रीबों में पलायन मज़दूर, महिला मज़दूर, आश्रित लोगों के विषय में क्यों नहीं सोचा गया?
- क्या महिलाओं के ख़ास ज़रूरतों को ध्यान में रखा जाता है, जैसे अभी लॉकडाउन के नियम बन रहे हैं उनका प्रभाव महिलाओं कैसे पड़ेगा क्या यह सोचा गया?
- महिला प्रसूति स्वास्थ्य से जुड़ी सेवा का क्या होगा, यह कोई बीमारी नहीं परन्तु महिला के प्रजनन जीवन से जुड़ी नियमित ज़रूरत है तो इसके प्रावधान की बात क्यों नहीं सुनने में आती है?
- महिलाओं व् किशोरियों का माहवारी स्वच्छता हेतु सैनिटरी नैपकिन का ध्यान क्यों नहीं आता है जब राशन पानी के प्रावधान की बात होती है?
- क्या लॉकडाउन में सामाजिक भेद-भाव पर भी अंकुश लगेगा, सब बंद रहेगा तो क्या मदद पाने के रास्ते भी बंद रहेंगे?
अभी समुदाय में इस तरह से परिस्थिति है कि आनेवाले समय में महिलाओं पर होने वाली हिंसा, घरेलु हिंसा, व् अन्य अपराध बढ़ जायेंगे। बेरोज़गारी, भूखमरी, लूट पाट, ग़ैर बराबरी बोलबाला होगा। चारों तरफ़ अंधविश्वास, अंध भक्ति बढ़ेगी जिससे हर स्तर पर हिंसा भी बढ़ेगी। आने वाला समय चिंता, भय, अवसादों से भरा होगा जिससे मानसिक बीमार लोगों की संख्या काफ़ी बढ़ जायेगी। अभी केवल मोबाइल फ़ोन, टेलीविज़न ही सहारा बचा है, परन्तु सोशल मीडिया पर वैसी सूचनाएं हैं जो कि मानसिक अवसाद व् द्वंद् को बढ़ावा देती हैं। टेलीविज़न पर भी केवल कोरोना कोरोन!! सही जानकारी नही मिल रही है!
सबसे बड़ी व् दुखद बात यह है कि कोरोनाके नाम पर अन्य स्वास्थ्य लाभ भी नहीं मिल रहा है। गाँव स्तर के उप-स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर व् ए.एन.एम भी नहीं रहते हैं। पता चलता है कि सभी की ड्यूटी ब्लॉक के PHC पर है। अन्य बीमारी से बीमार लोगों का क्या होगा?
आज की एक घटना ने हतप्रभ कर दिया कि अत्यधिक ब्लीडिंग होने के कारण एक महिला की मृत्यु हो गयी। PHC पर लायी गई परन्तु लेडीज़ डॉक्टर न होने के कारण इलाज की सुविधा न मिलने सेउसकी मृत्यु हो गई। कई महिलाओं, परिजनों को डिलीवरी हेतु भटकना पड़ रहा है। निजि क्लीनिक बंद पड़े हैं। सरकारी हस्पताल की भी स्थिति क्या है, उसपर से कोरोना का प्रभाव प्रहार और भी अन्य स्वास्थय लाभ को लाचार बेचार बनाए हुए है।
ठीक है एकाएक लॉकडाउन किया गया, परन्तु जिस तरह से नित्य सरकार जनता को लाभ देने की घोषणा कर रही है, या देने में पूरा महकमा लगा है उसी तरह इन समस्याओं के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। संवेदनशीलता होनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी की घोषणा से ताली, थाली, व् दीप पटाख़े छूट सकते हैं तो इन समस्याओं पर भी लोगों को संवेदनशीलता बढ़ाने की बात करनी चाहिए। उनकी घोषणा में सभी बातों का ज़िक्र होना चाहिए।
कोरोना के अलावा अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल आवश्यकता में लोगों का क्या होगा?
बन्दना शर्मा, आकांशा सेवा सदन, मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार